जमीन के फर्जी बैनामे का यह मामला वर्ष 1993 से साउथ अफ्रीका में रहने वाले गड़ीना के मूल निवासी धर्मपाल के साथ हुआ है। गड़ीना में उनकी करीब साढ़े तीन बीघा कृषि भूमि की देखभाल उनका भतीजा इंद्रपाल करता रहा है। धर्मपाल के विदेश चले जाने का फायदा उठाते हुए गांव के कुछ लोगों ने राजस्व विभाग से मिलीभगत कर फर्जी धर्मपाल के जरिए एनआरआई धर्मपाल की कृषि भूमि डेढ़ वर्ष पहले विकास के नाम पर और बाद में भूमि का विनोद के नाम बैनामा कर दिया। राजस्व विभाग से साठगांठ कर उक्त भूमि से एनआरआई के भतीजे इंद्रपाल को जबरन बेदखल कर आरोपी पक्ष को कब्जा दिला दिया गया। ग्रामीणों के अनुसार, गड़ीना गांव में कई साल से चकबंदी प्रक्रिया चल रही है। इस बीच पीड़ित का भतीजा इंद्रपाल तमाम अफसरों के चक्कर काटता रहा लेकिन किसी ने उसकी नहीं सुनी।
इस प्रकरण की जानकारी अफ्रीका में बैठे धर्मपाल को हुई तो वह वीजा लेकर भारत आ गया। उसने मंडलायुक्त सुरेंद्र सिंह तथा कप्तान प्रभाकर चौधरी को शिकायती पत्र देकर कार्रवाई की मांग की। एनआरआई धर्मपाल अपने परिजनों को लेकर थाना फलावदा पुलिस से भी मिला और न्याय मांगा। धर्मपाल ने गड़ीना में रहने वाले अपने परिजनों संग थाने पहुंचकर तमाम दस्तावेज दिखाये। थाना प्रभारी शिववीर भदौरिया ने बताया कि पीड़ित ने कप्तान के यहां जो शिकायत की थी, उसके आधार पर जांच की जा रही है। जांच में जमीन बैनामे का फर्जीवाड़ा पकड़ा गया तो मामला पंजीकृत करा दिया जाएगा।

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