मेरठ 8 सितम्बर (चमकता युग) देश से सन् 2025 तक टीबी को जड़ से समाप्त करने के लिये जन आंदोलन जारी है। इसी क्रम में मंगलवार को जिला क्षय रोग विभाग की ओर से चौधरी चरण सिंह जिला कारागार में टीबी जागरूकता अभियान चलाया गया। सक्रिय टीबी रोगी खोज अभियान के तहत पांच बैरक में की गयी स्क्रीनिंग में एक महिला समेत पांच लोगों में टीबी जैसे लक्षण पाये गये,इनकी टीबी की जांच करायी जा रही है।जिला क्षय रोग अधिकारी डा.गुलशन राय के नेतृत्व में मंगलवार को क्षय रोग विभाग की टीम चौधरी चरण सिंह जिला कारागार पहुंची। कारागार की पांच बैरक स्क्रीनिंग की गयी। महिला बैरक में स्क्रीनिंग टीम का नेतृत्व पीपीएम को-ऑर्डिनेटर शबाना बेगम ने किया। जबकि हाई सिक्योरिटी बैरक समेत अन्य चार बैरक में अन्य टीम ने जांच की। महिला बैरक में 127 महिलाओं व उनके बच्चों की जांच की गयी,जिसमें एक महिला में टीबी जैसे लक्षण मिले। जांच के लिये उसके बलगम का नमूना लिया गया। अन्य बैरक में चार और लोगों के बलगम के नमूने जांच के लिये गये। इस दौरान जेल अधीक्षक राकेश कुमार,जेलर राजेन्द्र सिंह, मनीष कुमार,डा. जावेद,सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर,टीबी लैब सुपरवाइजर धर्मेन्द्र,फार्मासिस्ट इन्द्रजीत आदि मौजूद रहे। जिला क्षय रोग अधिकारी डा.गुलशन राय ने बताया-विभाग द्वारा टीबी को जड़ से समाप्त करने के लिये अभियान चलाया जा रहा है। अभी तक टीम ने ओल्ड ऐज होम,नारी निकेतन,मदरसे, अनाथालय,रेलवे स्टेशन,गेस्ट हाउस,रोडवेज बस स्टेंड पर अभियान चलाया है। जिला कारागार में अभियान मंगलवार को शुरू किया गया। जो कि तीन दिन तक चलाया जाएगा । उन्होंने बताया पहले दिन पांच बैरक में सक्रिय क्षय रोगी खोज अभियान के तहत स्क्रीनिंग की गयी । उन्होंने बताया अभियान से यह लाभ होगा कि क्षय रोगियों की पहचान होने पर उनका उपचार समय से किया जा सकेगा और जेल में बंद अन्य बंदी इसके संक्रमण से बच सकेंगे। उन्होंने बताया अभियान के दौरान वहां पर मौजूद बंदियों को टीबी के प्रति जागरूक करते हुए बताया गया कि किस प्रकार यह बीमारी होती है और किस प्रकार से इससे बचा जा सकता है। उन्होंने बताया टीबी कोई लाइलाज बीमारी नहीं है। समय रहते अगर मरीज को उपचार मिल जाए तो इससे छूटकारा मिल सकता है। उन्होंने बताया दो हफ्ते से लगतार खांसी आना,बलगम में खून आना,भूख न लगना,वजन कम होना,बढ़ती उम्र के बच्चों का वजन न बढ़ना आदि टीबी के लक्षण हो सकते हैं। उन्होंने बताया निक्षय पोषण योजना के तहत टीबी के इलाज के दौरान मरीज के खाते में प्रति माह पांच सौ रुपये जमा किये जाते हैं। टीबी का उपचार पूरी तरह निशुल्क है। Wednesday, 8 September 2021
जिला कारागार में टीबी जागरूकता अभियान पांच बैरक में की गयी स्क्रीनिंग,पांच रोगियों में मिले टीबी के लक्षण।
मेरठ 8 सितम्बर (चमकता युग) देश से सन् 2025 तक टीबी को जड़ से समाप्त करने के लिये जन आंदोलन जारी है। इसी क्रम में मंगलवार को जिला क्षय रोग विभाग की ओर से चौधरी चरण सिंह जिला कारागार में टीबी जागरूकता अभियान चलाया गया। सक्रिय टीबी रोगी खोज अभियान के तहत पांच बैरक में की गयी स्क्रीनिंग में एक महिला समेत पांच लोगों में टीबी जैसे लक्षण पाये गये,इनकी टीबी की जांच करायी जा रही है।जिला क्षय रोग अधिकारी डा.गुलशन राय के नेतृत्व में मंगलवार को क्षय रोग विभाग की टीम चौधरी चरण सिंह जिला कारागार पहुंची। कारागार की पांच बैरक स्क्रीनिंग की गयी। महिला बैरक में स्क्रीनिंग टीम का नेतृत्व पीपीएम को-ऑर्डिनेटर शबाना बेगम ने किया। जबकि हाई सिक्योरिटी बैरक समेत अन्य चार बैरक में अन्य टीम ने जांच की। महिला बैरक में 127 महिलाओं व उनके बच्चों की जांच की गयी,जिसमें एक महिला में टीबी जैसे लक्षण मिले। जांच के लिये उसके बलगम का नमूना लिया गया। अन्य बैरक में चार और लोगों के बलगम के नमूने जांच के लिये गये। इस दौरान जेल अधीक्षक राकेश कुमार,जेलर राजेन्द्र सिंह, मनीष कुमार,डा. जावेद,सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर,टीबी लैब सुपरवाइजर धर्मेन्द्र,फार्मासिस्ट इन्द्रजीत आदि मौजूद रहे। जिला क्षय रोग अधिकारी डा.गुलशन राय ने बताया-विभाग द्वारा टीबी को जड़ से समाप्त करने के लिये अभियान चलाया जा रहा है। अभी तक टीम ने ओल्ड ऐज होम,नारी निकेतन,मदरसे, अनाथालय,रेलवे स्टेशन,गेस्ट हाउस,रोडवेज बस स्टेंड पर अभियान चलाया है। जिला कारागार में अभियान मंगलवार को शुरू किया गया। जो कि तीन दिन तक चलाया जाएगा । उन्होंने बताया पहले दिन पांच बैरक में सक्रिय क्षय रोगी खोज अभियान के तहत स्क्रीनिंग की गयी । उन्होंने बताया अभियान से यह लाभ होगा कि क्षय रोगियों की पहचान होने पर उनका उपचार समय से किया जा सकेगा और जेल में बंद अन्य बंदी इसके संक्रमण से बच सकेंगे। उन्होंने बताया अभियान के दौरान वहां पर मौजूद बंदियों को टीबी के प्रति जागरूक करते हुए बताया गया कि किस प्रकार यह बीमारी होती है और किस प्रकार से इससे बचा जा सकता है। उन्होंने बताया टीबी कोई लाइलाज बीमारी नहीं है। समय रहते अगर मरीज को उपचार मिल जाए तो इससे छूटकारा मिल सकता है। उन्होंने बताया दो हफ्ते से लगतार खांसी आना,बलगम में खून आना,भूख न लगना,वजन कम होना,बढ़ती उम्र के बच्चों का वजन न बढ़ना आदि टीबी के लक्षण हो सकते हैं। उन्होंने बताया निक्षय पोषण योजना के तहत टीबी के इलाज के दौरान मरीज के खाते में प्रति माह पांच सौ रुपये जमा किये जाते हैं। टीबी का उपचार पूरी तरह निशुल्क है।
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