Wednesday, 2 February 2022

स्पर्श कुष्ठ रोग जागरूकता अभियान में 15 हजार घरों तक पहुंची सर्वे टीम।

लोगों को किया जा रहा कुष्ठ रोग के प्रति जागरूक।

मेरठ 02 फरवरी (CY न्यूज) स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान में स्वास्थ्य विभाग की 1740 टीम घर-घर सर्वे कर रहीं हैं। 30 जनवरी से शुरू हुए अभियान में शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में पार्षदों व ग्राम प्रधानों के सहयोग से लोगों को कुष्ठ रोग के प्रति जागरूक किया जा रहा है। यह अभियान 13 फरवरी तक चलेगा। विभाग की टीम दो दिन में 15 हजार घरों का सर्वे कर चुकी हैं। सर्वे में कई लोग कुष्ठ रोग से प्रभावित मिले, जिनका उपचार आरंभ कर दिया गया है। जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डा.कमलेश चंद्र तिवारी ने बताया जिले में चार कुष्ठ आश्रम हैं।परतापुर स्थित राजकीय कुष्ठ आश्रम, विवेकानंद कुष्ठ आश्रम मेवला फाटक, संत साईं कुष्ठ आश्रम घोसीपुर एवं राजीव कुष्ठ आश्रम पावली में कुष्ठ रोगी रहते हैं। उन्होंने बताया 12 ब्लॉक में 1740 टीमों को 30 जनवरी से 13 फरवरी तक चलने वाले स्पर्श कुष्ठ रोग जागरूकता के लिये लगाया गया है। सभी टीम शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में जागरूकता अभियान के तहत ग्राम प्रधानों व सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर कार्यकर रही है। उन्होंने बताया 6 फरवरी के बाद स्कूलों में स्पर्श कुष्ठ रोग जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। इसमें शिक्षा विभाग का सहयोग लिया जाएगा। उन्होंने बताया गत वर्ष 2.46 लाख घरों में सर्वे किया गया, जिसमें पॉसि-बैसीलरी (पी.बी) के 11, मल्टी बैसिलरी (एम.बी) के 192 केस मिले, जबकि व्यापकता दर का प्रतिशत 0.46 रहा है। उन्होंने बताया पहले कुष्ठ रोगी को प्रतिमाह 2500 रुपये की पेंशन मिलती थी, जिसे सरकार ने बढ़ाकर तीन हजार रुपये प्रतिमाह कर दिया है। उन्होंने बताया वर्तमान में मेरठ में 133 लाभार्थियों को पेंशन का लाभ दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कुष्ठ रोग एक दीर्घकालिक संक्रामक रोग है। इसमें त्वचा पर हल्के रंग के धब्बे दिखाई देते हैं। यह तंत्रिकाओं, त्वचा व आंखों को प्रभावित करता है। इस रोग में स्थायी, शारीरिक विकलांगता की आशंका भी होती है। यह रोग माइकोबैक्टीरियम लेप्रे के कारण होता है। अनुपचारित कुष्ठ प्रभावित व्यक्ति ही एकमात्र जीवाणु को फैलाने के लिये जिम्मेदार होता है। संक्रामक व्यक्तियों के श्वसन तंत्र जैसे छींकने, खांसने से निकले ड्रॉपलेट से दूसरा व्यक्ति संक्रमित होता है। शरीर में प्रवेश के बाद बैक्टीरिया तंत्रिका एवं त्वचा की ओर पलायन कर जाता है। अगर शुरुआती चरण में इसका निदान व उपचार नहीं किया जाता है तो यह स्थायी विकृति धारण कर सकता है। उन्होंने बताया इस रोग में गहरे रंग की त्वचा के व्यक्ति में हल्के रंग के धब्बे और हल्के रंग की त्वचा वाले व्यक्ति के गहरे अथवा लाल रंग के धब्बे दिखाई देने लगते हैं। धब्बे वाले स्थान पर सुन्नपन, हाथ या पैरों में अस्थिरता या झुनझुनी होना इसके लक्षण हैं। उन्होंने बताया मल्टी ड्रग थेरेपी (एम.डी.टी) के बाद रोग की पुनरावृत्ति नहीं होती है, लेकिन समय से इसका उपचार कराना जरूरी है।

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