भारतीय महिलाओं में स्तन कैंसर का प्रसार अब 40 साल की उम्र से।
‘निडर हमेशा’ अभियान मैक्स अस्पताल द्वारा शुरू किया गया एक अभियान है जिसका उद्देश्य कैंसर के प्रति जागरूकता पैदा करना,इस बीमारी से लड़ने के लिए रोगियों और उनके देखभाल करने वाले दोनों के लिए समर्थन प्रदान करना और इससे जुड़े आम मिथकों के बारे में लोगों को जागरूक करना है। ‘निडर हमेषा’ लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाकर कैंसर के रोगियों को बेहतर गुणवत्ता पूर्ण जीवन प्रदान करने के लिए अद्वितीय पहलों में से एक है। कैंसर का समय पर पता लगाने से पैल्पेबल घावों को मेटास्टैटिक चरणों में परिवर्तित होने से रोका जा सकता है और उस समय इसके इलाज के कई विकल्प उपलब्ध होते हैं। मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल,पटपड़गंज (नई दिल्ली) और वैशाली (गाजियाबाद) के सिर और गर्दन,ओन्को सर्जरी के निदेशक डॉ सौरभ अरोड़ा ने कहा,स्तन कैंसर के खिलाफ लड़ाई लड़ना किसी महिला के लिए मानसिक रूप से काफी बड़ी चुनौती होती है,और यदि उसका परिवार इस लड़ाई में उसकी सहायता करता है और उसमें आत्मविश्वास पैदा करता है,तो वह सभी बाधाओं के खिलाफ लड़ सकती है। वॉकाथॉन में भाग लेने वाली इन मरीज़ों ने समान कहानियां बताई। उनके परिवार ने स्तन कैंसर से लड़ने में उन्हें पर्याप्त सहयोग किया और उनका आत्मविश्वास बढ़ाया। लोगों को यह पता होना चाहिए कि कैंसर विज्ञान में हाल में हुई प्रगति के कारण,अब स्तन कैंसर का पूरी तरह से इलाज किया जा सकता है। स्तन कैंसर के उचित और प्रारंभिक चरणों में निदान कर न केवल रोगी के जीवित रहने की संभावनाओं को तीन गुना किया जा सकता है, बल्कि रोगी को बेहतर गुणवत्ता पूर्ण जीवन भी प्रदान किया जा सकता है। हम अपने अभियान ’निडर हमेशा’ के माध्यम से इस पर रोषनी डालना चाहते हैं।’’
भारत में हर साल स्तन कैंसर के दर्ज होने वाले मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है। इसका श्रेय स्तन कैंसर के प्रति जागरूकता को भी जाता है। ग्लोबैकन 2017 में प्रकाशित हाल के आंकड़ों के मुताबिक,स्तन कैंसर से पीड़ित भारतीय महिलाओं की संख्या दुनिया भर में सबसे अधिक है। लेकिन बढ़ती जागरूकता, समय पर इलाज और कैंसर देखभाल के क्षेत्र में बदलते प्रतिमानों ने धीरे-धीरे मृत्यु दर को कम कर दिया है। मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल,पटपड़गंज (नई दिल्ली) और वैशाली (गाजियाबाद) के रेडिएशन ऑन्कोलॉजी के प्रिंसिपल कंसल्टेंट डा.अरुण वर्मा ने कहा, ‘‘निडर हमेषा में भाग लेने वाली सभी मरीजों का उद्देश्य लोगों के बीच जागरूकता पैदा करना है ताकि अधिकांश स्तन कैंसर का शुरुआती चरणों में ही पता लगाया जा सके,क्योंकि स्तन कैंसर वाली अधिकांश महिला मेटास्टेसिस के बाद अस्पताल आती हैं जब ट्यूमर शरीर के अन्य अंगों में फैल जाता है। इस चरण में,इसका पूरी तरह से इलाज नहीं हो पाता है लेकिन उपचार का उद्देश्य यहां तक कि स्तन हटाने की सर्जरी कर इसमें कमी करना (ट्यूमर के प्रसार को कम करना) होता है। ऐसे समय में परिवार से मिला आश्वासन सभी बाधाओं के खिलाफ लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।’’ स्तन कैंसर वंशानुगत होने के अलावा,अब जीवन शैली की बीमारी अधिक है। तनाव,खान-पान की खराब आदतें,निश्क्रिय जीवनशैली,और वायु तथा जल प्रदूषण को युवा भारतीय महिलाओं के बीच स्तन कैंसर के मामलों को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। स्तन कैंसर होने की उम्र में तेजी से गिरावट आयी है। स्तन कैंसर पहले आम तौर पर 60 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को होता था लेकिन अब 40 साल से भी कम उम्र की महिलाएं भी इससे ग्रस्त हो रही हैं।
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