मेरठ 11 फरवरी (CY न्यूज) जब भी कोई व्यक्ति चश्मों से छुटकारा पाने के लिए रिफ्रैक्टिव सर्जरी कराने के बारे में सोचता है तो उस के मन में बहुत से सवाल जैसे डाक्टर, क्या मैं लेसिक सर्जरी के लिए उपयुक्त हूं? क्या यह एक सुरक्षित है? आदि घूमते रहते है। कुछ समय पहले चश्मे से छुटकारा चाहने वाले लोगों के लिए कॉन्टैक्ट लेंस ही एकमात्र विकल्प था, लेकिन पिछले कुछ सालों में लेंसो की गुणवत्ता में बहुत सुधार आए हैं। अब पुराने सख्त लेंसो की जगह मुलायम व आधुनिक लेंस उपलब्ध हैं। लेकिन आज सबसे बडा सवाल है लेंसो की स्वच्छता व सुरक्षा का, क्योंकि इसी कारण कान्टैक्ट लेंस पहनने वाले व्यक्ति की आंखों में बहुत सी जटिल समस्याएं उत्पन्न हो जाती है। नई दिल्ली सेंटर फॉर साइट के एडिशनल डायरेक्टर डा.रितिका सचदेव का कहना है कि कान्टैक्ट लेंस के इस्तेमाल के दौरान हमेशा बेहतर स्वच्छता की जरूरत होती है। जल्दबाजी में जब भी व्यक्ति कान्टैक्ट लेंस का बिना हाथ धोए इस्तेमाल करते हैं, तो ऐसे में आंख में हमेशा किसी न किसी प्रकार का संक्रमण होने की संभावना बनी रहती है। नई एंटिबायोटिक्स व बेहतर उपलब्धताओं के साथ, इस संक्रमण को बहुत बेहतरीन तरीके से ठीक कर आंखों की देखभाल की जा सकती है। लेकिन फिर भी यहां अभी तक कोर्निया पर स्थायी सफेद दाग या धब्बे पड़ जाने का हमेशा से खतरा बना हुआ है। इस कारण दृष्टि संबंधी समस्या उत्पन्न हो जाती है अर्थात् व्यक्ति को साफ दिखना बंद हो जाता है। मरीजों को यह ध्यान रखना चाहिए कि कान्टैक्ट लेंस उनकी आंखों का वह बाहरी भाग है जिस में कभी भी किसी भी प्रकार का संक्रमण हो सकता है। चिकित्सा विज्ञान की एक नामी पत्रिका का अध्ययन दर्शाता है कि जो लोग रोजाना कान्टैक्ट लेंस लगाते हैं उनमें 100 लोगों में से एक व्यक्ति को बैक्टिरियल केराटिस एक ऐसा संक्रमण जिस के कारण आंखों की देखने की क्षमता कम हो जाती है का विकसित होने का जोखिम होता है। जो लोग कान्टैक्ट लेंस को पहनने में लापरवाही करते हैं जैसे रात में लेंस पहनकर सो जाना या देखभाल करने में लापरवाही करना आदि उनमें ऐसा जोखिम उत्पन्न होने की अधिक संभावना रहती है। जो मरीज अपने चश्मों से छुटकारा पाने की चाहत रखते हैं उनके लिए लेसिक सर्जरी एक बेहतर विकल्प है। आधुनिक लेसिक मशीनें सभी प्रकार की दृष्टि संबंधी त्रुटियों को सुधारने की क्षमता रखती है। इसलिए अब लेजर उपचार अधिक व्यवहारिक व कारगर है। इस प्रक्रिया की बेहतर समझ के साथ सर्जरिक्ल व पोस्ट-सर्जरिक्ल प्रबंधन में बहुत सुधार आए हैं। सर्जरी में किसी भी प्रकार की कठिनाई व जटिलताएं अब सुधार योग्य है। नई-नई तकनीकों के जन्म से लेजर के सभी डर अब खत्म होते जा रहे हैं। डा.रितिका सचदेव के अनुसार लेसिक तकनीक जो पहले के समय में अधिक जोखिम भरी होती थी, अब पूर्ण रूप से सुरक्षित व उपयोगी बन गई है। लेसिक कान्टैक्ट लेंस की तुलना में कहीं अधिक बेहतर है। इसलिए जो व्यक्ति अपने चश्मों से निजात पाना चाहते हैं उनके लिए लेसिक एक बहुत ही बेहतर विकल्प है।
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