Saturday, 28 May 2022

रुद्रा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में हुआ दो दिवसीय योग शिविर का समापन।

 

हापुड़ 28 मई (CY न्यूज) संस्थान रुद्रा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी नानपुर हापुड़ में दो दिवसीय योग शिविर का समापन किया गया।  शिविर संचालक विनय योगी, निशांत कुमार, राकेश कुमार, दुष्यंत कुमार ने सभी छात्र छात्राओं  को योगा प्रैक्टिकल के साथ-साथ आर्ट ऑफ लिविंग एंड योगा, विद्यार्थी अपने भावी जीवन की नींव का निर्माण करने के साथ-साथ कैसे करें... आत्मिक उन्नति, राष्ट्रभक्त एवं सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने वाली नारियों से कैसे लें प्रेरणा। हैल्थ एंड स्पिरितुअलिटी, युवा समस्या एवं समाधान, सशक्त नारी-सशक्त समाज, तनाव-प्रबंधन एव मोबाइल के दुष्प्रभाव आदि विषयों पर विशेष उद्बोधन दिया। इस अवसर पर आचार्य विनय योगी ने कहा चिंता मनुष्य का एक गंभीर विकार है। यह मनुष्य को अंदर ही अंदर जलाती है। यह किसी समस्या का समाधान नहीं है। एक सामान्य व्यक्ति अपने जीवन भर विभिन्न प्रकार की चिंताओं से युक्त रहता है। एक कहावत है कि चिंता चिता के समान है। चिंता ग्रस्त व्यक्ति के लिए समस्याओं से लड़ना कठिन ही नहीं है, बल्कि असंभव हो जाता है। चिंता से व्यक्ति इतना तनाव ग्रस्त हो जाता है उसकी बुद्धि और विवेक दोनों नष्ट हो जाते हैं। इसमें घिरा व्यक्ति विभिन्न प्रकार के मनोविकारों और रोगों से घिरने लगता है। जीवन को सकारात्मक गति देने के लिए मनुष्य को चिंता न करके चिंतन करना चाहिए। चिंता से जहां मन अशांत रहता है वही चिंतन से मन में एकाग्रता, शांति, उत्साह और प्रेम का भाव उत्पन्न होता है। चिंतन जीवन को प्रकाश की ओर ले जाता है। चिंतनशील व्यक्ति के लिए कोई न कोई सुगम मार्ग अवश्य मिल जाता है। वास्तव में चिंता ही चिंतन को जन्म देती है। जब व्यक्ति किसी समस्या से ग्रस्त होता है तभी वह उस समस्या के बारे में चिंतन करता है और चिंतन से समस्या का समाधान निकालता है। भगवान कृष्ण ने गीता में चिंता न करने की बात कही है। वह कहते हैं कि क्यों व्यर्थ की चिंता करते हो? तुम क्या लेकर आए थे जो खो गया है? कर्म पर तुम्हारा अधिकार है फल पर नहीं। अतः हमें चिंता से उबरने के लिए उसे चिंता के विषय में चिंतन करना चाहिए। चिंतन ही चिंता के समाधान की कुंजी है। चिंतन के पश्चात जो कार्य किया जाता है, उसकी सफलता में संदेह नहीं रहता है। इस अवसर पर कॉलेज के प्राचार्य डा.गंगादास सिंह ने कहा कि योग हमारी प्राचीन संस्कृति का अंग है आज सम्पूर्ण दुनिया योग की महत्ता स्वीकार कर चुकी है। योग का अर्थ बुरे कर्मो को त्यागकर अच्छे कर्मों को अपनाना है। योग का अर्थ अपने "स्वत्व" को पहचानकर आत्मानुभूति प्राप्त करके उस सर्वोच्च सत्ता से एकाकार होना है। प्राचार्य ने सभी का आभार प्रकट किया। इस अवसर पर कॉलेज के डायरेक्टर डा.पवन तोमर, आर.आई.टी कॉलेज ऑफ फार्मेसी के प्रधानाचार्य डा.जफर वसी, अश्वनी मिश्रा, विकास मोहन, शेंकी त्यागी, हरेंद्र सिंह, कविता रानी, ममता कोहली एव अन्य सभी अध्यापक अध्यापिका उपस्थित रहे।

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