मेरठ 04 जून (CY न्यूज) पर्यावरण एवं स्वच्छता क्लब द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर ऑनलाइन पर्यावरण संरक्षण संवाद का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि पदम डॉक्टर भारत भूषण त्यागी रहे। क्लब निदेशक आयुष गोयल पीयूष गोयल ने बताया कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों को पर्यावरण एवं जल संरक्षण के प्रति जागरूक करना तथा जैविक खेती की उपयोगिता बताना। मुख्य अतिथि पदम श्री डा.भारत भूषण त्यागी ने कहा मनुष्य को पर्यावरण एवं प्रकृति की व्यवस्था को समझने और पहचानें की आवश्यकता है। स्वस्थ जीवन जीने के लिए मनुष्य को प्रकृति के साथ संतुलन स्थापित करना होगा। मनुष्य जीव जंतु और पेड़ पौधों के साथ संतुलन स्थापित करना होगा। मनुष्य ने विकास के नाम पर प्रकृति के साथ छेड़छाड़ की है, जिस कारण लोगों को कोरोना महामारी का सामना करना पड़ा। हमारे देश में भौतिक विकास के नाम पर प्रकृति का दोहन हो रहा है, किसानों को जैविक को अपनाना होगा। किसानों को समय और स्थान देखकर फसल लगानी चाहिए। प्रकृति ईश्वर का दिया हुआ अनमोल उपहार है। खेती के नाम पर प्राकृतिक साधनों का अपव्यय नहीं करना चाहिए। किसानों को खेतों की स्थिति और भूमि की स्थिति को समझ कर फसल लगानी चाहिए। चावल की फसल के साथ गन्ने और हल्दी की फसल लगानी चाहिए जिससे पानी का उचित उपयोग हो सके। मौसम के अनुरूप किसानों को फसलों का चुनाव करना चाहिए, कृषि को व्यवसाय बनाएं, व्यापार नहीं। फसलों से अत्यधिक लाभ कमाने के लिए प्रकृति के साथ खिलवाड़ ना करें, खरपतवार खत्म करने के लिए केमिकल युक्त कीटनाशकों का प्रयोग ना करें। प्रकृति को समझने का प्रयास करें मनुष्य जीव जंतु और पेड़ पौधे मिलकर प्राकृतिक पर्यावरण का निर्माण करते हैं। यह सभी एक दूसरे के पूरक है, प्रकृति हमारी मां है क्योंकि यह हमें अन्न और धन सब कुछ देती है। प्रकृति का संरक्षण तभी संभव है जब हम प्रकृति को समझ कर उसके अनुरूप व्यवहार करें। पेड़ पौधों का अनावश्यक हनन ना करे। स्वस्थ और श्रेष्ठ जीवन जीने के लिए आवश्यक है मनुष्य प्रकृति की व्यवस्था को समझ कर उसके साथ संतुलन स्थापित करे। युवा पीढ़ी प्रकृति के महत्व को समझ कर उसके संरक्षण के लिए आवश्यक योगदान दें। विकास के नाम पर प्रकृति के साथ अनावश्यक अन्याय ना हो, प्रकृति को हानि पहुंचा कर किया गया विकास खोखला है। प्रकृति के अभाव में जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। जब धरती पर जीवन संभव नहीं होगा तो विकास किसका होगा। वर्तमान समय में धरती का जलस्तर कम होने से धरती का तापमान बढ़ रहा है, तापमान बढ़ने से ऋतु चक्र बिगड़ रहा है, ऋतु चक्र बिगड़ने से खेती सही तरीके से नहीं हो पा रही है। धरती का जलस्तर कम होने से जल संकट की समस्या विकराल रूप धारण करती जा रही है। मेरठ के 300 ग्रामों में पीने लायक पानी उपलब्ध नहीं है। संतुलित मात्रा में प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग ही प्रकृति का संरक्षण है, हमें प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करने के लिए अपनी सोच बदलनी होगी। समाजसेवी विपुल सिंघल ने कहा प्रकृति संरक्षण के लिए व्यक्तिगत रूप से प्रयास करने होंगे। कार्यक्रम में दीपक शर्मा ने जल संरक्षण पर विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में डा.शालिनी अग्रवाल, केशव सिंघल, लक्ष्मी शर्मा, दीपक शर्मा, डा.मोहिनी आदि उपस्थित रहे।

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