शहर में बने सार्वजनिक सुलभ शौचालय नहीं हैं पर्याप्त, कुछ रहते हैं बंद।
सार्वजनिक सुलभ शौचालय व इज्जत घर के लिए सरकार कर रही करोंड़ों खर्च, नहीं सुधर रहीं व्यवस्थाएं।
औरैया (संवाददाता विपिन गुप्ता) 07 जून (CY न्यूज) महिलाओं को ही नहीं बल्कि उनके परिजनों को भी बाहर खेतों पर शौचक्रिया व लघुशंका के लिए न जाना पड़े। इसके लिए सरकार स्वच्छ भारत मिशन के तहत करोंड़ों का वारा-न्यारा कर रही है। वही शहर, नगर, कस्बों तथा ग्रामीण क्षेत्रों में प्रमुख स्थानों पर सार्वजनिक सुलभ शौचालय बनवाने का काम योजना के तहत व्यापक तौर पर अवश्य कर रही है। लेकिन इसका सदुपयोग नहीं हो रहा है। जिससे आम जनमानस को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। प्रदेश सरकार को इज्जत घरों व सार्वजनिक सुलभ शौचालय में हो रही अनियमितताओं पर विशेष ध्यान केंद्रित करने की माहती आवश्यकता है। जिससे इज्जत घरों एवं सार्वजनिक सुलभ शौचालय का सदुपयोग हो सके। जनपद में औरैया के अलावा विभिन्न कस्बों नगरों एवं ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार द्वारा इज्जत घर एवं सार्वजनिक सुलभ शौचालय बनवाने पर व्यापक तौर पर स्वच्छ भारत मिशन योजना चल रही है। इसके बावजूद इन भी इज्जत घरों एवं सार्वजनिक सुलभ शौचालयों का सदुपयोग होते प्रतीत नहीं हो रहा है। महिलाओं के लिए सरकार जहां एक ओर महिला सशक्तिकरण जैसी योजनाओं को चलाकर महिलाओं को सशक्त बनाना चाहती है। वहीं इज्जत घरों एवं सार्वजनिक सुलभ शौचालयों के द्वारा महिलाओं की मर्यादा पर हर संभव प्रयास कर रही है। औरैया शहर में मात्र पांच सार्वजनिक सुलभ शौचालय बने हुए हैं। जो आबादी के सापेक्ष पर्याप्त नहीं है। इसके अलावा जनपद के विभिन्न नगरों, कस्बों व ग्रामीण क्षेत्रों से आमजन का आवागमन जारी रहता है। शहर के मंडी समिति, जेसीज चौराहा फायर स्टेशन के समीप, सदर बाजार सब्जी मंडी एवं गौरैया तालाब व गौशाला रोड पर सार्वजनिक सुलभ शौचालय बने हुए हैं। जो काफी नहीं हैं। शहर में महिलाओं के लिए मार्केट में कोई भी सार्वजनिक सुलभ शौचालय नहीं बना है। जबकि इस बाजार में बड़ी संख्या में महिलाओं का आवागमन बना रहता है। शौचक्रिया एवं लघुशंका होने पर महिलाओं को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ता है। महिला बाजार में सार्वजनिक सुलभ शौचालय का होना अति आवश्यक ही नहीं अपितु अनिवार्य है। इसके बावजूद शासन व प्रशासन द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। शहर में बने सार्वजनिक सुलभ शौचालयों में सफाई के नाम पर सुविधा के लिए महिला व पुरुषों से 5 से 10 लिए जाते हैं। इसके बावजूद सार्वजनिक सुलभ शौचालयों में साफ-सफाई का अभाव देखा जा सकता है। इसके अलावा शहर के गौरैया तालाब वदनपुर कांशीराम कॉलोनी के समीप बना सार्वजनिक सुलभ शौचालय ज्यादातर बंद ही रहता है। जिससे आम जनमानस को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। इस बात पर नगर पालिका परिषद को अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए। जिससे लोगों को सार्वजनिक सुलभ शौचालय का लाभ मिल सके। ग्रामीणांचलों की विभिन्न ग्राम पंचायतों में सरकार द्वारा सुलभ शौचालय बनवाये गये हैं। जिनमें कुछ आधे अधूरे पड़े हैं। तथा कुछ में ताले लटकते रहते हैं। इसी के चलते इन सार्वजनिक सुलभ शौचालयों का सदुपयोग नहीं हो पा रहा है। प्रदेश सरकार को इन सार्वजनिक सुलभ शौचालयों के प्रति विशेष ध्यान केंद्रित करना चाहिए। जिससे सरकार द्वारा लगाये गये पैसे एवं सार्वजनिक सुलभ शौचालय का सदुपयोग हो सके। इसके साथ ही ग्रामीण अंचलों में बने इज्जत घरों पर भी ध्यान आकर्षित करना चाहिए। क्योंकि अधिकांशतः इज्जत घर चालू नहीं हैं। तो कुछ में स्टोर के तौर पर भूसा व ईधन आदि भर दिया गया है। वहीं महिलाएं एवं पुरुष खेतों पर शौचक्रिया व लघुशंका के लिए जाते हुए देखे जा सकते हैं।


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