मेरठ 16 अक्टूबर (CY न्यूज) ऐकलेज़िया कार्डिया एक ऐसी बीमारी है जिसमे खाने की नली के निचले सिरे का वाल्व टाइट हो जाता है। इसमे भोजन नली की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है और यह भोजन तथा पानी के निर्बाध प्रवाह को बाधित कर देता है। मरीज को निगलने में कठिनाई, भोजन का छाती में अटकने का अहसास, सीने में दर्द, खाने का मुँह मे वापस आना और वजन कम होने जैसी समस्याएं होने लगती है। नई दिल्ली मे बत्रा हस्पताल के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के डायरेक्टर डा.कपिल शर्मा ने कहा, हमारे पास एक मेरठ का मरीज आया जो कि इस बीमारी से ग्रस्त था 'मरीज को खाना निगलने मे पिछले 1 महीने से दिक्कत आ रही थी वह इलाज के लिए मेरठ और आस पास के अन्य अस्पतालों मे गया पर वहाँ बीमारी की पहचान आसानी से हो न सकी। वहाँ केवल मरीज को पेट मे एसिड को कम करने की दवाई दी गई जिससे आराम न मिला। डा.कपिल ने बताया ऐकलेज़िया कार्डिया मरीजो की जाँच अब मनोमेट्री तकनीक की मदद से की जाती है यह गैस्ट्रोइंट्रोलॉजिस्ट मे एक नई तकनीक आयी है इसमें भोजन और पानी को पेट तक पहुंचाने में मदद करने वाली मांसपेशियों की क्षमता और कार्यप्रणाली नापने के लिए मरीज के मुंह के जरिये भोजन नली में एक पतली पाइप डालकर जांच की जाती है। यह प्रक्रिया करने मे 15 मिनट लगते है। आमतौर पर एक इंसान भोजन को निगलता है तो भोजन नलिका के निचले हिस्से में पाया जाने वाला स्फिंगक्टर (मांसपेशी का छल्ला) खुलता है और खाने को पेट में जाने देता है। तंत्रिका कोशिकाएं स्फिंगक्टर की खुलने और बंद होने की प्रक्रिया को नियंत्रित करती हैं। उन्होंने बताया जो लोग ऐकलेज़िया कार्डिया से पीड़ित होते हैं, उनकी तंत्रिका कोशिका धीरे-धीरे गायब हो जाती है। इन कोशिकाओं के न होने से स्फिंगक्टर को आराम करने का मौका नहीं मिलता और एसोफेजियल स्फिंक्टर की आंतरिक मांसपेशीया तंग हो जाती है
परिणाम स्वरूप भोजन नलिका में खाना इकट्ठा होने लगता है। इससे भोजन निगलने में दिक्कत आती है, उल्टी होने लगती है, रात को कफ गिरती है और वजन कम होने लगता है। अभी तक मरीज की बंद आहार नली खोलने के लिए बैलूनिंग करते थे। इसमें समस्या दोबारा पनप आती है। दूसरा विकल्प ओपन सर्जरी है।बड़ी शल्य चिकित्सा से गुजरना पड़ता था, जिससे मरीज को काफी तकलीफ होती थी, परंतु अब इस बीमारी का इलाज बगैर शल्य चिकित्सा के एण्डोस्कोपी द्वारा पोइम (पर ओरल ऐन्डोस्कोपी मॉयोटामी) प्रक्रिया से सम्भव है। अचलासिया के उपचार के लिए पोइम एक न्यूनतम इनवेसिव ऐन्डोस्कोपी प्रक्रिया है जिसमें निचले एसोफेजियल स्फिंक्टर की आंतरिक तंग मांसपेशीया सबम्यूकोसल सुरंग के माध्यम से विभाजित की जाती है
जिसमें कोई चीर-फाड़ नहीं करनी पड़ती है। इसमें लंबे समय तक अस्पताल में रहने की जरूरत भी नहीं पड़ती और इसके शानदार परिणाम लंबे समय तक बने रहते हैं। मरीज सर्जरी के ठीक 48 घंटे बाद लिक्विड भोजन लेना शुरू करने लगा।
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