निजी चिकित्सकों और दवा विक्रेताओं का संवेदीकरण कर रहा क्षय रोग विभाग
मेरठ 16 अक्टूबर (चमकता युग) क्षय रोग विभाग जनांदोलन कार्यक्रम के चौथे चरण के तहत जनपद के निजी चिकित्सकों और दवा विक्रेताओं का संवेदीकरण कर रहा है। यह अभियान क्लीनिक,दवा की दुकानों और निजी चिकित्सालयों में चलाया जा रहा है। जिला क्षय रोग अधिकारी (डी.टी.ओ) डा.गुलशन राय ने बताया संवेदीकरण के लिए दो-दो सदस्यों वाली पांच टीम गठित की गयी हैं। क्षय रोग विभाग की टीम निजी चिकित्सकों को टीबी के मामलों का नोटिफिकेशन कराने की महत्ता बताते हुए सौ फीसदी मामलों का नोटिफिकेशन कराने के लिए प्रेरित कर रही हैं। डी.टी.ओ ने बताया नोटिफिकेशन किए बिना क्षय रोगी का उपचार करना कानूनन जुर्म है। निजी चिकित्सकों और दवा विक्रेताओं का संवेदीकरण कार्यक्रम पूरे अक्टूबर माह चलेगा। दो अक्टूबर से चल रहे अभियान में अभी तक 350 निजी चिकित्सकों व दवा विक्रेताओं का संवेदीकरण किया जा चुका है। जिला पी.पी.एम समन्यवयक शबाना बेगम ने बताया जनांदोलन कार्यक्रम के तहत जनपद की सभी दवा की दुकानों पर जाकर एच.1 शिडयूल की सूचना संकलित करने और इसके सही रखरखाव के बारे में जागरूक किया जा रहा है। अभियान के तहत एम.बी.बी.एस और एम.डी चिकित्सकों से संपर्क किया जा रहा है। दो अक्टूबर से चले अभियान में जीत फाउंडेशन की सहायता ली जा रही है। जनपद में ऐसे कुल 968 चिकित्सक सूचीबद्ध हैं। अब तक करीब 350 चिकित्सकों के यहां क्षय रोग विभाग की टीम दौरा कर चुकी हैं। इसके लिये जिले में 15 टीम लगायी गयी हैं। एक टीम में दो व्यक्ति शामिल हैं,जिसमें एक ट्रीटमेंट कोर्डिनेटर और एस.टी.एस -ट्रीटमेंट सुपरवाइजर शामिल है। पी.पी.एम समन्वयक नेहा सक्सेना की टीम द्वारा लोकप्रिय नर्सिंग होम,न्यूटिमा हॉस्पिटल,आंनद हॉस्पिटल,जगदंबा नर्सिग होम, धनवंतरी,सुभारती हॉस्पिटल आदि में क्षय रोगियों के नोटिफिकेशन के बारे में विस्तार से चर्चा की गयी। जीत फाउंडेशन के प्रोग्राम ऑपरेशन मैनेजर विपिन कुमार ने बताया टी.बी के प्रति लोग जागरूक हो रहे हैं। उन्होंने बताया समय पर दवा का उपयोग किया जाए तो टी.बी की बीमारी को समाप्त किया जा सकता है। उन्होंने बताया लोगों को टीबी के प्रति जागरूक करने के लिये नये-नये तरीके अपनाए जा रहे हैं ,ताकि 2025 तक देश से टी.बी को समाप्त किया सके।
बता दें कि टी.बी की दवा देने के लिए जरूरी है कि दवा विक्रेता भी दवा देने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि रोगी का नोटिफिकेशन हो गया हो,ऐसा न होने पर वह स्वास्थ्य विभाग को इसकी सूचना उपलब्ध कराए। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया डीसीजीआई की गाइडलाइन के तहत औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम-1940 तथा इसके अंतर्गत बनाई गई नियमावली के अनुपालन में यह वैधानिक अनिवार्यता है कि खुदरा दवा विक्रेता केवल रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर के पर्चे पर ही दवा की बिक्री करें।
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