मेरठ 02 अक्टूबर (चमकता युग) स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय में तथागत शोधपीठ एवं राष्ट्रीय सेवा योजना प्रथम इकाई एक के संयुक्त तत्वावधान में लाल बहादुर शास्त्री जयंती की जंयती का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम का शुभारंभ तथागत शोधपीठ के संयोजक डा.चन्द्रकीर्ति भन्ते ने मंगलाचरण के साथ किया एवं इस अवसर पर उन्होंने कहा कि लाल बहादुर शास्त्री एक राष्ट्रीय पुरोधा थे और सादा जीवन,त्याग और नैतिकता के प्रतिमान थे। वह भारतीय मूल्यों की साक्षात् प्रतिमूर्ति थे। शास्त्री का आदर्श इतना ऊँचा था कि उनके मृत्यु के बाद भी वो हर हिंदुस्तानी को प्रेरित करते हैं। शास्त्री जी अपनी ईमानदारी और व्यवहार कुशलता के चलते अत्यंत लोकप्रिय थे। बहुत ही कम समय में शास्त्री जी ने अपनी नीतियों और प्रभावशाली नारों के साथ राष्ट्र का स्वरूप बदल दिया था। राष्ट्रीय सेवा योजना-प्रथम इकाई सहायक कार्यक्रम अधिकारी पल्लवी त्यागी ने व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि दिखने में साधारण परन्तु चट्टान की तरह मजबूत देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 मुगलसराय में हुआ था।देश के लिए अपना जीवन न्योछावर करने वाले शास्त्री जी के बचपन का जीवन संघर्ष पूर्ण रहा था,उन्हें बचपन में जहां नदी तैर कर स्कूल पढ़ने जाना पड़ता था,तो वहीं अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इन्हें कई मील नंगे पैर पैदल चलना पड़ता था। संभवतः इन परिस्थितियों को झेलने के कारण ही वे एक मजबूत इंसान बने। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद अच्छी छवि के कारण शास्त्री जी को देश का दूसरा प्रधानमंत्री बनाया गया। उन्होंने 9 जून 1964 को भारत के प्रधानमंत्री का पदभार ग्रहण किया। उनके शासन काल में 1965 का भारत पाक युद्ध शुरू हो गया। इससे 3 वर्ष पूर्व चीन का युद्ध भारत हार चुका था। शास्त्री जी ने अप्रत्याशित रूप से हुए इस युद्ध में राष्ट्र को उत्तम नेतृत्व प्रदान किया और पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी। इसकी कल्पना पाकिस्तान ने कभी सपने में भी नहीं की थी। प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने 26 जनवरी,1965 को देश के जवानों और किसानों को अपने कर्म और निष्ठा के प्रति सुदृढ़ रहने और देश को खाद्य के क्षेत्र में आत्म निर्भर बनाने के उद्देश्य से जय जवान,जय किसान का नारा दिया। यह नारा आज भी भारत में बहुत लोकप्रिय है। डा.रागिनी श्रीवास्तव ने लाल बहादुर शास्त्री जी के जीवन के विषय में जानकारी दी। राष्ट्रीय सेवा योजना-प्रथम इकाई सहायक कार्यक्रम अधिकारी डा.सीमा शर्मा ने अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम डा.हिरो हितो के मार्गदर्शन में सम्पन्न हुआ। प्रो.सिम्मी गुरूवारा डा.नीलिमा चौहान,डा.मनीषा लुथरा,डा.हिना शर्मा,डा.आलोक कुमार,डा.हरीश कुमार एवम् मि.अमित चतुर्वेदी,प्रवीण शर्मा,नितिन,संजय शर्मा आदि उपस्थित रहे।
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