Wednesday, 10 November 2021

बदलते मौसम में छोटे बच्चों का रखें ध्यान, खुद न बनें चिकित्सक:डा.राहुल।

मेरठ 10 नवंबर (चमकता युग) बदलते मौसम में छोटे बच्चों को भी वायरल बुखार और जुकाम जैसी परेशानी हो रही है। इस मौसम में माता पिता बच्चों का ध्यान रखने के लिए कुछ छोटी-छोटी बातों पर गौर करें तो उन्हें परेशान नहीं होना पड़ेगा। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र हस्तिनापुर के प्रभारी चिकित्साधिकारी डा.राहुल वर्मा कहते हैं-छोटे बच्चों को बुखार यूं ही नहीं आता, हर बुखार का कोई न कोई कारण होता है। इस बात को हमेशा ध्यान रखना चाहिए जितना छोटा बच्चा उतनी ही जल्दी चिकित्सकीय सलाह। पांच वर्ष तक के बच्चों में उनके मर्ज को पता करने में यदि जरा भी देर हो जाए तो उनका उपचार थोड़ा मुश्किल हो जाता है। अक्सर लोग यह गलती करते हैं कि बच्चों को बुखार आने पर उसे वायरल समझकर घर पर ही पैरासिटामोल जैसे दवा देने लगते हैं, पर यह गलत है। क्योंकि यदि सही समय पर जांच न हो तो कई बार मर्ज का पता नहीं लग पाता। मसलन, डेंगू की एलाइजा जांच यदि समय पर न हो तो डेंगू की पुष्टि नहीं हो पाती। ऐसे में बच्चे का सही इलाज हो पाना मुश्किल हो सकता है। छोटे बच्चों में बुखार और वायरल ठीक होने के बाद लगभग एक हफ्ते तक उन पर नजर बनाए रखना जरूरी है। इस दौरान उनके शरीर में ब्लड पैरामीटर कम होने लगते हैं। ऐसे में बच्चे के शरीर में हो रहे बदलावों पर ध्यान नहीं जा पाता और इससे वह और अधिक बीमार पड़ सकते हैं। बीमारी के दौरान इन बातों पर रखे ध्यान,डा.राहुल वर्मा का कहना है यदि बच्चे को डेंगू हो जाए तो इसमें घबराने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि कुछ बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता जरूर है। जैसे कि बच्चे को कभी भी कॉम्बिनेशन वाली दवा न दी जाए यानि बुखार हो तो सिर्फ बुखार की दवा दी जाए उसमें कोई और ड्रग या एंटीबायोटिक दवा शामिल न हो। समय-समय पर पतली चीजें जैसे पानी, दलिया, सूप या जिन चीजों को वह आसानी से पचा पाए और उनका शरीर हाइड्रेटेड रहे, बच्चे को खिलाते रहें। बच्चे की नब्ज देखते रहें। बच्चे के शरीर पर चकत्ते आदि की निगरानी रखें। बच्चा अगर सुस्त हो रहा है, हाथ पैर ठंडे हो रहे हैं, उसे उल्टी हो रही है या चक्कर आ रहे हैं तो यह खतरे की घंटी है। ऐसे में उसे जल्द से जल्द चिकित्सक के पास लेकर जाएं। इस बात पर नजर बनाए रखें कि बच्चे को समय पर पेशाब हो रहा है कि नहीं। इसके अलावा उसके मल या शरीर के किसी भाग से रक्तस्राव न हो रहा हो।

चिकित्सकीय सलाह लें:

डा.राहुल कहते हैं बुखार बैक्टीरियल, वायरल, डेंगू, टाइफाइड या इंफेक्शन आदि की वजह से हो सकता है। ऐसे में खुद से दवा न दें। बैक्टीरियल और वायरल इनफेक्शन के बीच में फर्क को समझें। यदि बच्चे को बैक्टीरियल इंफेक्शन का बुखार आ रहा है तो वह घर के किसी अन्य सदस्य को नहीं होगा, लेकिन यदि घर के अन्य सदस्यों में भी बुखार, सर्दी, जुकाम जैसे लक्षण हैं और वह बच्चे को भी हो रहे हैं तो इसका मतलब उसे वायरल संक्रमण हुआ है।

बुखार में कभी न करें यह गलती:

बुखार होने की स्थिति में लोग अक्सर गलतियां करते हैं। बुखार आने पर बच्चे को मोटी चादर या कंबल उढ़ा देते हैं। यह सही नहीं है। मोटे कपड़े या कंबल से ढके जाने पर शरीर की गर्मी शरीर में ही रह जाती है। इसकी वजह से बुखार फिर से हो सकता है। बच्चे को सामान्य तापमान पर कमरे में रखे और धीरे-धीरे उसका बुखार उतरने दें। डेंगू का मच्छर दिन में काटता है। ऐसे में दिन के समय पूरा शरीर ढकने वाले कपड़े पहनायें और आसपास साफ-सफाई का ध्यान रखें।



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