कार्यशाला
.पी.सी.पीएन.डी.टी एक्ट क्रियांवयन पर आयोजित हुई कार्यशाला।
.निजी चिकित्सकों व अल्ट्रासाउंड केन्द्र संचालकों से की अपील।
.प्रसव पूर्व लिंग जांच की सही जानकारी स्वास्थ्य विभाग को दें।
नोएडा 16 दिसंबर (चमकता युग) अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा.ललित कुमार ने जनपद के सभी अल्ट्रासाउंड केन्द्र संचालकों एवं चिकित्सकों से अपील की है कि वह कोई भी ऐसा कार्य न करें जो पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन पर रोक) अधिनियम, 1994 (पी.सी.पी.एन.डी.टी एक्ट) के विरुद्ध हो। डा.ललित बृहस्पतिवार को यहां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बिसरख पर पी.सी.पी.एन.डी.टी एक्ट 1994 के प्रभावी क्रियान्वयन पर जागरूकता एवं प्रचार प्रसार के लिए आयोजित कार्यशाला में निजी चिकित्सकों और अल्ट्रासाउंड केन्द्र संचालकों को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर डा.ललित कुमार ने जनसामान्य से भी अपील की कि यदि गर्भ भ्रूण लिंग जांच के विषय में उन्हें कोई जानकारी मिलती है तो इसकी सूचना स्वास्थ्य विभाग को तत्काल दें, ताकि दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जा सके। उन्होंने पी.सी.पी.एन.डी.टी एक्ट 1994 के बारे में विस्तार से जानकारी दी। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डा.सचिन्द्र कुमार मिश्रा ने जनपद में सुधर रहे लिंगानुपात पर खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा पी.सी.पी.एन.डी.टी एक्ट के तहत प्रसव पूर्व लिंग जांच करना नियम विरुद्ध तो है, साथ ही प्रकृति के विरुद्ध भी है। ऐसा करने पर कड़ी सजा का प्रावधान है, इस लिए कोई भी अल्ट्रासाउंड संचालक इस तरह का कृत्य न करे। कार्यक्रम में पी.सी.पी.एन.डी.टी कार्यक्रम की जिला कार्यक्रम समन्वयक मृदुला सरोज ने पी.सी.पी.एन.डी.टी एक्ट के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया अब अल्ट्रासाउंड केन्द्रों का रजिस्ट्रेशन आन लाइन होने से प्रक्रिया आसान हो गयी है। उन्होंने प्यारी बिटिया पोर्टल के बारे में भी जानकारी दी। कार्यक्रम में डाटा एंट्री आपरेटर संध्या यादव, अंजू जैन, क्षेत्र के ग्राम प्रधान, आशा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, ए.एन.एम, निजी चिकित्सक डा.बी.एम शर्मा, डा.नीरा मित्तल, डा.श्रेया सेठ, डा.एस.के भार्गव, अल्ट्रासाउंड केन्द्र संचालक हुकुम सिंह सहित कई अल्ट्रा संचालकों ने भाग लिया। इस अवसर पर बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ, लिंगानुपात में सुधार को लेकर हस्ताक्षर अभियान भी चलाया गया।
क्या है पी.सी.पी.एन.डी.टी एक्ट:
पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम, 1994 भारत में कन्या भ्रूण हत्या और गिरते लिंगानुपात को रोकने के लिए संसद द्वारा पारित एक संघीय कानून है। इस अधिनियम से प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक श्पी.एन.डी.टीश् एक्ट 1996, के तहत जन्म से पूर्व शिशु के लिंग की जांच पर पाबंदी है। ऐसे में अल्ट्रासाउंड या अल्ट्रासोनोग्राफी कराने वाले जोड़े या करने वाले चिकित्सक, लैब कर्मी को तीन से पांच साल सजा और 10 से 50 हजार जुर्माने की सजा का प्रावधान है।
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