.चिकित्सक की सलाह पर आयरन की गोली का समय पर करें सेवन।
.गर्भावस्था के समय करायें नियमित जांच।
मेरठ 20 दिसंबर (चमकता युग) खून की कमी के कारण महिलाओं को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इससे बचने के लिये सही समय पर अपने खून की जांच करा कर उपचार लें। यह बात जिला महिला अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सी.एम.एस) डा.मनीषा अग्रवाल ने कही है। डा.अग्रवाल ने कहा महिलाओं एंव लड़कियों को हमेशा अपने खानपान पर ध्यान देना चाहिये। उन्हें समय-समय पर अपने हीमोग्लोबिन की जांच करानी चाहिये। गर्भवती महिलाओं के लिये जांच अति आवश्यक है। गर्भावस्था के दौरान एनीमिया होने पर महिलाओं को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। यदि किसी महिला में खून की कमी है तो उसे आयरन की गोलियों का सेवन करना चाहिये। गर्भवतियों को इसे समय से खाना चाहिए। गोली के साथ अपने खानपान में फलों को शामिल करें। डा.अग्रवाल ने बताया एनीमिया का अर्थ है शरीर में खून की कमी होना। हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन एक ऐसा तत्व है, जो शरीर में खून की मात्रा बताता है। पुरुषों में इसकी मात्रा 12 से 16 ग्राम प्रतिलीटर तथा महिलाओं में 11 से 14 ग्राम प्रतिलीटर के बीच होनी चाहिए। एनीमिया की पहचान हीमोग्लोबिन लेवल जांच से की जाती है। इसे तीन भागों में बांटा गया है। पहला हीमोग्लोबिन लेवल अगर 12 ग्राम प्रतिलीटर से ज्यादा है तो एनीमिया नहीं माना जाता है। 7 से 10 ग्राम हीमोग्लोबिन होने पर उसे मोडरेट (मध्यम) एनीमिया कहते हैं। अगर यह सात से कम है तो उसे सीवियर एनीमिया माना जाता है।
एनीमिया के लक्षण:
त्वचा, होठों और नाखूनों का पीला पड़ना या सफेद होना, थकान और कमजोरी महसूस होना, सांस लेने में परेशानी होना, दिल की धड़कन तेज होना, ध्यान लगाने में दिक्कत आना, लेटते या बैठते समय चक्कर आना, चेहरे एवं पैरों पर सूजन आना।
एनीमिया का कारण:
सबसे प्रमुख कारण आयरन (लौह तत्व) वाली चीजों का उचित मात्रा में सेवन न करना, शौच, उल्टी, खांसी के साथ खून का बहना, माहवारी में अधिक मात्रा में खून जाना, दुर्घटना, चोट में अधिक खून का निकलना।
एनीमिया से बचाव:
आयरन युक्त पदार्थ का सेवन करें, विटामिन-ए एवं सी युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन, गर्भवती महिलाओं एवं किशोरी लड़कियों को नियमित रूप से सौ दिन तक आयरन तत्व व फॉलिक एसिड की एक गोली रात को खाना खाने के बाद सेवन करनी चाहिये।
काली चाय एवं कॉफी पीने से बचें:
संक्रमण से बचने के लिये स्वच्छ पेयजल का इस्तेमाल करें, हरी सब्जियों का करें प्रयोग, मूंगफली, अंडा, कुकुरमुत्ता, मटर व फलियां, दालें, सूखे मेवे, मछली, मांस, बाजरा, गुड़, गोभी, शलजम का प्रयोग करें।
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