मेरठ 20 जनवरी (CY न्यूज) बहादरपुर बौद्ध मठ में अंतर्राष्ट्रीय बुद्ध शिक्षा संस्थान एवं स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय के बीच अकादमिक आदान प्रदान किया गया। इस अवसर पर तीन दिवसीय विशेष रिट्रीट और धम्म ट्रांसमिशन कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्घाटन अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध शिक्षा संस्थान के अध्यक्ष पूज्य भंते लोकनायक अश्वघोष एवं सम्राट अशोक सुभारती स्कूल ऑफ बुद्धिस्ट स्टडीज के सलाहकार डा.हिरो हितो ने धम्मदीप प्रज्जवलन से किया। उद्घाटन सत्र में भंते अश्वघोष ने कहा कि बौद्ध धर्म वैज्ञानिक विचारों पर मानव को संगठित करने का मार्ग है। तथागत बुद्ध का जीवन, कथन और शिक्षाएं मनुष्य को दुखों से मुक्ति दिलाने, ज्ञान और सही मार्ग पर चलने के लिए आज भी उतनी ही महत्वपूर्ण और प्रासंगिक हैं जितनी कि उस समय हुआ करती थी। उन्होंने कहा कि तथागत बुद्ध ने अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए लोगों को जीवन जीने की सही दिशा बताई और कल्पना आधारित विश्वास का विरोध करते हुए कर्म को इंसान की प्रगति का सही मार्ग बताया। उन्होंने आगे बुद्ध की शिक्षा और ध्यान तकनीकों के बारे में विस्तार से बताया। आचार्य किनले ग्याल्स्टेन, भूटान भी इस कार्यक्रम में आभासी माध्यम से जुड़े। उन्होंने आयोजकों को इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम के लिए शुभकामनाएं दीं और कहा कि बौद्ध धर्म में शिक्षा मनुष्य के सर्वांगीण विकास का साधना है। इसका उद्देश्य मात्र पुस्तकीय ज्ञान प्राप्त करना नहीं, अपितु मनुष्य के स्वास्थ्य का भी विकास करना है। बौद्ध धर्म में शिक्षा व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक तथा आध्यात्मिक उत्थान का सर्वप्रमुख माध्यम है। इसका उद्देश्य मात्र पुस्तकीय ज्ञान प्राप्त करना नहीं, अपितु मनुष्य के स्वास्थ्य का भी विकास करना था। बौद्ध धर्म में शिक्षा व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक तथा आध्यात्मिक उत्थान का सर्वप्रमुख माध्यम है। डा.हिरो हितो ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय तथागत गौतम बुद्ध के आदर्शों पर चलकर भारत सहित पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता को प्रसारित व प्रोत्साहित कर रहा है। जिसमें विशेषकर सम्राट अशोक सुभारती स्कूल ऑफ बुद्धिस्ट स्टडीज के माध्यम से बौद्ध धर्म की शिक्षा दी जाती है। इसके साथ ही प्रेम, करूणा, मैत्री के भाव से सुभारती विश्वविद्यालय विश्व को एक परिवार के रूप में विकसित करके मानव कल्याण के कार्य कर रहा है। तथागत बुद्ध शोधपीठ के संयोजक डा.चंपलाल मंडरेले ने कहा कि आज विश्व को ध्यान साधना की आवश्यकता है क्योंकि इसके अभ्यास से मानव नैराश्य जैसी कई जटिलताओं से आसानी से मुक्ति पा सकता है और अपना जीवन सुगम बना सकता है। सम्राट अशोक सुभारती स्कूल की एसोशिएट प्रोफेसर डा.सीमा शर्मा ने तथागत बुद्ध की आधारभूत शिक्षाओं पर अपने विचार प्रस्तुत करते हुए इनकी व्यावहारिकता की बात कही। डा.मनीषा लूथरा ने बौद्ध दर्शन के सूक्ष्म बिंदुओं पर चर्चा की। डा.आलोक कुमार वर्मा ने कहा कि बुद्ध ने समता मूलक समाज की व्यवस्था पर बल दिया। पल्लवी त्यागी ने कहा कि बौद्ध धर्म जीवन जीने की एक सकारात्मक पद्धति है जिस पर चलकर मानव अपने जीवन को सुगम बना सकता है। सान्या महाजन ने कहा कि बौद्ध धर्म के मूल में सर्वधर्म समभाव की भावना का समावेश इसे विशिष्ट बनाता है। कार्यक्रम के दूसरे सत्र का शुभारंभ भिक्षुओं द्वारा मंत्रोच्चार से किया गया। इंटरनेशनल बुद्ध एजुकेशन इंस्टीट्यू के वरिष्ठ भंटे संघ घोष ने कहा की हमें रोज काम से कम तीस मिनट ध्यान करना चाहिए। उन्होंने ध्यान की विभिन्न तकनीकों के बारे में भी विस्तार से बताया। सम्पूर्ण कार्यक्रम का संयोजन व संचालन कुलवंत सिंह ने किया। उद्घाटन सत्र के समापन के बाद डा.हिरो हितो, डा.चंपालल, डा.सीमा शर्मा, डा.मनीषा लूथरा, पल्लवी त्यागी, समीर सिंह, डा.आलोक वर्मा, सान्या महाजन आदि द्वारा जरूरतमंद व्यक्तियों को कंबलों का वितरण किया गया।
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