मोदी नगर 13 अगस्त (चमकता युग) ) भारत देश लोकतांत्रिक देश है,लोकतांत्रिक देश का असली मालिक मतदाता होता है, क्योंकि मतदाता मताधिकार का प्रयोग करके सरकार को चुनता है और सरकार को चलाने के लिए टैक्स देता है,उसे यह जानने काअधिकार है कि उसने जो टैक्स सरकार चलाने के लिए दिया है, उसका उपयोग सही ढंग से हो रहा है या नहीं। परंतु भाजपा सरकार को आम जन से जो धनराशि सरकार चलाने के लिए टैक्स के रूप में प्राप्त हो रही वह धनराशि कहाँ पर खर्च की जा रही है,वह धनराशि किस मदद में खर्च की जा रही है यह सब सरकार को बताने का अधिकार है।सरकार का यह भी फर्ज बनता है कि जनहित में आपदा के समय किसी भी प्रकार से आमजन को परेशानी न हो ?परंतु भाजपा सरकार आपदा के समय आमजन को कोविड-19 महामारी के समय सरकार ने ऊँट के मुँह में जीरा जैस मदद की है वह भी तरसा-तरसा कर बल्कि तथा कथित रूप से आमजन को परेशान करने का कार्य किया है ? आज महंगाई चरम सीमा पर है, भाजपा सरकार में हर वर्ग परेशान है।मजदूर,किसान, असंगठित मजदूर की हालत तो बद से बदतर है।ऐसी सरकार को सत्ता से बाहर बाहर का रास्ता दिखाना अति आवश्यक है?नहीं तो यह सरकार मीडियम व निम्न वर्ग के हाथों में कटोरा दे देगी। राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस इंटक के प्रदेश प्रवक्ता सुरेश शर्मा ने कहा कि आगामी 2022 विधानसभा चुनाव में भाजपा सरकार का उत्तर प्रदेश से सफाया जरूरी है।हम आमजन से पूछना चाहते हैं कि क्या आपके पिछले तीन महीने से आपके खाते में घरेलू गैस सिलेंडर सब्सिडी का पैसा आ रहा है?नहीं आ रहा है?
आपको बताते हैं कि केन्द्र सरकार ने मई महीने में घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत में बदलाव करते समय ही घरेलू गैस सब्सिडी समाप्त करने का फैसला किया था।जिसके कारण मई,जून और जुलाई में गैस लेने पर भी ग्राहकों को सब्सिडी का पैसा ट्रांसफर नहीं किया गया।जबकि आज घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत आसमान को छू रही है। जबकि भाजपा को सरकार साढ़े चार साल से ऊपर चलते हुए हो गये हैं,डीजल,पेट्रोल व घरेलू गैस सिलेंडर पर उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार ने टैक्स कम नहीं किये, जबकि आज डीजल,पेट्रोल व घरेलू गैस सिलेंडर की कीमतें अधिक होने के कारण घरों का खर्चा चलाना मुश्किल हो रहा है ? आज हर चीज महंगई हैं।सरकार ने अभी तक किसानों के तीन काले कानूनों को वापस नहीं लिया है और लगभग आठ माह से अपनी मांगों को लेकर दिल्ली बार्डर पर किसान व किसान महिलाएं ने डेरा डाल रखा है।आज देश का किसान पीड़ित है क्योंकि सरकार ने गन्ने पर एक भी पैसा गन्ने की कीमत पर नहीं बढ़ाया बल्कि उत्तर प्रदेश में किसानों का बकाया गन्ना भुगतान भी अभी करोड़ों रूपये शेष है, जबकि नियमानुसार गन्ने का बकाया भुगतान14 दिन के अन्दर हो जाना चाहिए था,लेकिन मंत्रालय व वह गन्ना विभाग के अन्दर भ्रष्टाचार के चलते किसानों का बकाया गन्ना भुगतान में देरी होती है।
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